💔 Introduction – दोस्त के दुश्मन के लिए शायरी
DOST KE DUSHMAN KE LIYE SHAYARI : ज़िंदगी में दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है जो खून के रिश्तों से भी ज़्यादा क़रीब बन जाता है। मगर अफ़सोस, हर दोस्त सच्चा नहीं होता। कुछ लोग दोस्ती का लिबास पहनकर दिलों में ज़हर पालते हैं। ऐसे दोस्त सामने मुस्कुराते हैं लेकिन पीछे से वार करते हैं। ये होते हैं दोस्त के नाम पर छिपे दुश्मन।
हमारी ये शायरी संग्रह उन जज़्बातों का आइना है जो एक सच्चे इंसान को तब महसूस होते हैं जब वो किसी झूठे दोस्त के धोखे से टूटता है। जब दोस्ती में भरोसा टूटा हो, तब ये दो लाइन की शायरियाँ आपके दिल की आवाज़ बन जाती हैं।
यहाँ दी गईं शायरियाँ उन सभी के लिए हैं जिन्होंने कभी किसी नकली दोस्त से धोखा खाया हो — और अब अपनी भावनाएँ बयां करना चाहते हैं। चाहे आप ग़ुस्से में हों, उदासी में हों या बस अपनी चुप्पी को अल्फाज़ देना चाहते हों, ये शायरियाँ आपके हर लफ्ज़ में साथ हैं।
जिसे समझा था अपना साया,
वही निकला दर्द का साया।
वो दोस्त बनकर दुश्मनी निभा गया,
चेहरे पे मुस्कान, दिल में जहर ला गया।
हर मुस्कुराता चेहरा वफ़ादार नहीं होता,
हर अपना कहलाने वाला वाकई यार नहीं होता।
जो साथ बैठ कर हँसा करते थे,
आज वही हमारी बुराई में लिप्त रहते हैं।
ज़माने से नहीं, अपने ही जख्म दे गए,
जो थे दोस्त, वही दगा कर गए।
हमने तो दिल दिया था दोस्ती में,
पर उन्होंने तो पीठ में खंजर घोंपा यारों।
दुश्मन से बेहतर वो जो सामने वार करता है,
कम से कम पीठ पीछे बात नहीं करता है।

भरोसा किया था जिस पर जान से ज्यादा,
वही निकला सबसे बड़ा धोखेबाज़।
नकाब वाले चेहरों से डर नहीं लगता अब,
अब तो अपनों के चेहरे भी पहचान लिए हमने।
दोस्ती का लिबास ओढ़कर जो चलते हैं,
असल में वही सबसे गहरे वार करते हैं।
बातों में मिठास और दिल में नफरत,
ऐसे होते हैं आजकल के रिश्ते और मतलब।
वक़्त आने पर दुश्मन ने भी साथ दिया,
और दोस्त ने हर वक़्त पीठ में छुरा घोंपा।
कभी जो दिल की धड़कन थे,
आज वही साज़िशों की जड़ हैं।
चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल में जहर,
दोस्त ऐसा मिले तो अकेलापन बेहतर।
दुश्मन तो फिर भी सामने से वार करता है,
लेकिन दोस्त…? वो पीठ पीछे चुपचाप मारता है।
अब हर मुस्कान पर यकीन नहीं करते,
क्योंकि दोस्त बनकर ही कई दुश्मन निकले हैं।
झूठी हँसी और दिखावे की दोस्ती,
यही है आज की सच्ची बंदगी।
सच्चा दोस्त नहीं मिला तो ग़म नहीं,
पर झूठे दोस्तों से मुलाक़ात ने तोड़ दिया।
अब तो ये हाल है ज़िन्दगी में,
कि डर अपनों से लगता है गैरों से नहीं।

हमने दोस्त समझा, उन्होंने मज़ाक बना लिया,
हमने रिश्ता निभाया, उन्होंने फायदा उठा लिया।
भरोसा किया तो तोड़ा गया,
अपना समझा तो छोड़ा गया।
जिसे हर बात में साथ पाया,
आज उसी ने सबसे ज़्यादा सताया।
ग़लती ये थी कि उन्हें अपना समझ लिया,
वरना हक़दार वो तो नफ़रत के भी नहीं थे।
दुश्मन की ज़ुबान से तो बच गया मैं,
पर दोस्त की चुप्पी ने जला डाला।
जो सच्चा होता है, वो पीठ पीछे नहीं बोलता,
जो झूठा होता है, वो सामने कुछ और होता है।
दिखावे की दोस्ती आजकल का चलन है,
सच्चाई अब सिर्फ किताबों में ही रह गई है।
दोस्ती का चोला पहन कर जो छुरा घोंपे,
वो इंसान नहीं, मासूमियत का कातिल होता है।
दिल से निभाई थी दोस्ती,
पर उसे तो मतलब की आदत थी।
कभी जो आंखों का नूर थे,
अब वो ही गले की फांस बन गए।
दुश्मनी से ज़्यादा तकलीफ़ अपनों की बेरुखी देती है,
क्योंकि उनसे उम्मीद होती है, और चोट भी गहरी लगती है।
💔 दोस्त के दुश्मन के लिए 2 लाइन शायरी – पार्ट 2 (31 से 60)
जिसे अपनापन समझ बैठे थे,
वही हर मोड़ पर बेगानापन दिखा गया।
कभी ख्वाब थे, कभी सच्चाई थे,
अब तो बस एक गलतफ़हमी की परछाई थे।
जो लोग सामने मुस्कराते रहे,
वही पीठ पीछे आग लगाते रहे।
जिसे बचपन से जाना था यार समझकर,
वो निकला चालों का खिलाड़ी छुपकर।

वक़्त के साथ सब बदल जाते हैं,
कुछ तो दोस्ती का मतलब भी भुला जाते हैं।
दोस्ती की आड़ में जो जहर पिलाए,
वो इंसान नहीं, धोखे का देवता कहलाए।
हर ज़ख्म पर मलहम लगाने वाले ही,
आख़िर में ज़ख्मों के कारण निकले।
कहते थे तुझ पे जान भी कुर्बान है,
और पीछे से तीर चलाते रहे बेमिसाल।
गुनाह उनका था, सज़ा हमें मिली,
क्योंकि हमने दोस्ती दिल से निभाई थी।
अब यकीन नहीं होता दोस्ती के नाम पर,
कई रिश्ते मिलते हैं सिर्फ काम के नाम पर।
चेहरा मासूम, बातें मीठी,
पर दिल में नफरत की दुनिया बसी थी।
दुश्मनी करनी थी तो सामने आते,
क्यों दोस्ती का ढोंग रचाते?
हमने तो सोचा था साथ चलेंगे उम्र भर,
वो तो मोड़ पर छोड़ गए राहें अधूरी।
वक़्त ने सिखाया की कौन अपना है,
कौन सिर्फ मतलब का सपना है।

जो भरोसा तोड़ दे वो अपना कैसा,
चाहे हंसकर मिल ले, मगर दिल से पराया है।
कभी जिगरी थे, अब जहर से बदतर लगते हैं,
ये भी दोस्ती की इनायतें हैं।
कभी दोस्त कहकर गले लगाते थे,
अब नाम तक लेना गवारा नहीं।
जो जिक्र करते थे हर दुआ में,
आज वही याद आते हैं बददुआ में।
नकाब उतरा तो चेहरा ही नहीं बदला,
इंसान भी अजनबी लगने लगा।
कौन कहता है दुश्मन सिर्फ गोली से मारते हैं,
झूठे दोस्त तो मुस्कान से ही घायल कर जाते हैं।
जिसे हर दर्द में पुकारा,
उसी ने सबसे बड़ा घाव दिया।
मिलता था प्यार का दिखावा,
मगर अंदर से सिर्फ साज़िश का जाल था।
तू दोस्त नहीं, धोखा बन कर आया,
किस्मत नहीं, तू तो सबक बन गया।
कभी सोचते थे बिना उसके जी नहीं पाएंगे,
अब सोचते हैं काश कभी मिलते ही ना।

मतलब की दोस्ती का ज़माना है,
जहां दिल नहीं, फायदा देखा जाता है।
हमने निभाया रिश्ता ईमानदारी से,
उन्होंने तो बस चलाया व्यापार समझकर।
जिसे माना था हमराज,
वो ही निकला सबसे बड़ा राजदार।
तू तो अपना था, ये सोच कर चुप रहा,
वरना जवाब तो बहुत तेज़ी से आता है।
तेरे जैसे दोस्तों से तो अकेलापन अच्छा,
कम से कम दिल को धोखा नहीं होता।
दिखावे की मोहब्बत से अब डर लगता है,
क्योंकि उसी ने सबसे ज़्यादा तोड़ा है।
💔 दोस्त के दुश्मन के लिए 2 लाइन शायरी – पार्ट 3 (61 से 90)
जो अपने होकर गैर निकले,
उनसे तो अजनबी अच्छे लगते हैं।
तेरे जैसा दोस्त मिला,
तो दुश्मन की जरूरत ही नहीं पड़ी।
दिल दिया था दोस्ती में सच्चे जज़्बे से,
पर तुम तो निकले मतलब के रिश्ते से।
दुश्मन तो सामने खड़ा होता है,
मगर दोस्त पीठ पीछे वार करता है।
हमने तो हर मर्ज़ में उन्हें याद किया,
वो हर बार हमारे दर्द पे हँसते रहे।

जो दोस्त बनकर धोखा दे जाए,
वो सबसे बड़ा दुश्मन कहलाए।
कभी चाहा था जिन्हें जान से ज़्यादा,
आज वो अजनबी बन कर नजरें चुराते हैं।
तेरी हँसी में भी अब फरेब नजर आता है,
क्योंकि दिल में अब वो भरोसा नहीं बचा।
तू मुस्कुराता है सबके सामने,
मगर मेरा नाम सुनते ही तेवर बदल जाते हैं।
हर बार माफ किया तुझे अपना समझकर,
अब पछताते हैं तुझे जानकर।
तेरी नफरत में भी वो अदा थी,
जिसने सिखा दिया, कि अब किसी पे भरोसा न करना।
कभी जिक्र में था तू,
अब तुझसे दूरी में सुकून है।
तेरी हर बात पे यकीन किया,
अब खुद से नफरत होती है।
कभी जो मेरी कमी का ताना मारते थे,
आज वो खुद अधूरे लगते हैं।

दुश्मन को देखा तो याद आया,
तेरे जैसे मुस्कुराकर वो वार नहीं करता।
मतलब की दोस्ती निभा कर तू गया,
अब हम भी तुझे याद नहीं करते।
तेरे जैसा कोई और न मिले,
दुआ नहीं, बददुआ है ये।
कभी जिसकी दोस्ती पे नाज़ था,
आज वही शख्स वजह-ए-राज था।
तेरी फितरत में ही खोट था शायद,
तभी हर रिश्ते में तू अकेला रह गया।
अब चेहरे पर मुस्कान नहीं,
क्योंकि अपनों ने ही दिल को ज़ख़्म दिए हैं।
तूने जो किया, वो मैं कभी नहीं कर सकता,
क्योंकि मेरी परवरिश तेरी जैसी नहीं।
हम तो दोस्ती में भी वफा चाहते थे,
तुम तो फरेब लेकर ही आए थे।
तेरी झूठी बातों ने जो किया,
वो दुश्मनी भी न कर पाती।
तू जितना दिखता है, उतना है नहीं,
तू वो नकाब है, जो सच्चाई छुपा गया।

कभी जो आंखों की चमक था,
आज वही आंखों का आंसू बन गया।
तेरे धोखे की आदत नहीं थी मुझे,
पर अब सिख लिया है सब्र और चुप रहना।
मत पूछ कैसे टूटा हूं मैं,
तेरी दोस्ती ने ही दिल चाक किया है।
कभी तेरी बातों में खुद को ढूंढते थे,
आज खुद में तुझसे बचते हैं।
तेरी हर हरकत ने ये सीखा दिया,
कि दो चेहरे रखने वालों से दूर रहना चाहिए।
अब यार नहीं चाहिए तेरे जैसे,
अब खुद की तन्हाई ही बेहतर है।
💔 दोस्त के दुश्मन के लिए 2 लाइन शायरी – (91 से 99)
जिसे समझा था तक़दीर का हिस्सा,
उसी ने ही लूट लिया भरोसे का किस्सा।
दुश्मन तो सामने से वार करता है,
तेरे जैसे दोस्त तो दिल पे वार करता है।
वो जो दोस्त बनकर चलता था साथ,
वही सबसे पहले छोड़ गया हर बात।
तेरी दोस्ती एक अधूरी कहानी निकली,
जिसमें झूठ और धोखा ही निशानी निकली।
हमने जो दिल से निभाई थी दोस्ती,
तूने उसे मौके की तरह इस्तेमाल किया।
चेहरे की मुस्कान अब दिखावा लगती है,
क्योंकि तू ही वो है जिसने हर बार दगा दी है।
तूने रिश्ता मतलब से जोड़ा था,
हमने उसे मोहब्बत समझ लिया।
अब ना तुझसे नफरत है, ना प्यार है,
तू बस एक सीखा हुआ सबक है और कुछ नहीं।
जिसे अपना समझा, उसी ने अकेला कर दिया,
अब तन्हाई ही सच्चा यार बन गई है।
Conclusion – दोस्त के दुश्मन के लिए शायरी
DOST KE DUSHMAN KE LIYE SHAYARI ज़िंदगी में हर रिश्ता हमें कुछ न कुछ सिखा जाता है — और झूठी दोस्ती सबसे बड़ा सबक होती है। जो लोग चेहरे पर मुस्कान और दिल में नफ़रत लिए चलते हैं, वो दोस्त नहीं, वो नकाबपोश दुश्मन होते हैं। ऐसे रिश्ते जब टूटते हैं, तो दिल से निकली हुई शायरी ही हमारे दर्द को जुबां देती है।